आह्लादित अंतर हो उठता
छलका करते भाव ह्रदय में
नयनों में प्रेमाश्रु झलकते
उर उपवन में जब कान्हा के
सुंदर रूप संवरते सजते !
आतुर हो जब ह्रदय पुकारे
कम्पित तन मन विगलित होता
सुमिरन में जब गोविन्द आते
आह्लादित अंतर हो उठता !
नाम-रूप में भेद न कोई
लिया नाम तो सम्मुख आते
बाहर-भीतर, भीतर-बाहर
एक वही तो झलक दिखाते !
प्रेम का सौदा सच्चा सौदा
बिना मोल ही कान्हा बिकते
अर्पित मन के कुशल-क्षेम का
हँसते-हँसते भार उठाते !
अनिता निहालानी
१९ जनवरी २०११
anita ji apki sabhi kavitaye sunder hai.
ReplyDeleteapne such kaha hai parmatma ko to prem se hi
paya ja sakta hai....
बहुत ही सुन्दर भावमय शब्द ।
ReplyDeletevery nice blog n your post .........
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra
आह्लादित अंतर हो उठता---जब भी तुम्हारी ये कविता पढ़ते.
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