टूटा दर्प, छूटा अभिमान
बारम्बार हुआ मन आहत,
विश्वास तुम्हारा है जबसे
बल अंतर का हुआ जागृत !
करते-करते कुछ न पाया
किया-धरा सब व्यर्थ गया,
अब कुछ करना न रहा शेष
उन चरणों से जब जुड़ा हिया !
भीतर की दुनिया अपनी है
है गीत जहाँ संगीत जहाँ,
परिवर्तन बाहर की भाषा
नित्य एक रस प्रीत वहाँ !
गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
अब कुछ करना न रहा शेष
ReplyDeleteउन चरणों से जब जुड़ा हिया !
बहुत सुंदर -
बहुत अच्छा प्रयास है
बधाई .
यदि व्यक्ति भीतर की और अग्रसर हो जाए इश्वर की सुंदरता को प्राप्त कर सकता है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
आपका साधुवाद.
भीतर की दुनिया अपनी है
ReplyDeleteहै गीत जहाँ संगीत जहाँ,
सुन्दर!
बहुत प्रभावपूर्ण कृति, सुन्दर अच्छी रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की ढेर सारी शुभ कामना