Monday, September 26, 2011

ज्ञानप्राप्ति का उपाय



श्री मद् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित

विवेक – चूड़ामणि


ज्ञानप्राप्ति का उपाय

सुख भोग की तज कामना, साधक सद्गुरु शरण में जाये
उनके उपदेशों को सुन कर, मुक्ति के लिए करे उपाय

सत्य आत्मा में स्थित हो, योग में हो आरूढ़ रहे
डूब रहा जो भवसागर में, स्वयं का स्वयं उद्धार करे

व्यर्थ चेष्टा तज दे सारी, एक साधना में तत्पर हो
भव बंधन से पानी मुक्ति, लक्ष्य सदा सम्मुख हो

कर्म से होती चित्त की शुद्धि, ज्ञान नहीं होता कर्मों से
‘तत्व’ विचार से ही मिलता है, न क्रियाकांड के धर्मों से

रज्जु में सर्प भ्रम हो गया, अति दुःख जो देने वाला
विचार किये से ही छूटेगा, स्वयं को जिस बंधन में डाला

ज्ञान से ही भ्रम दूर हो सके, स्नान, दान जितने कर ले
दृढ विचार से दुःख मिटता है, प्राणायाम भी कितने कर ले
    

4 comments:

  1. वाह …………बहुत सुन्दरता से ज्ञानसागर प्रस्तुत किया है…………विवेक – चूड़ामणि पढना सही मे ज्ञानानर्जन करना है।

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  2. बहुत सुन्दरता से ज्ञान का सागर हमारे ह्रदय मे बहा दिया..धन्यवाद..

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  3. सुन्दर प्रस्तुती.....

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  4. व्यर्थ चेष्टा तज दे सारी, एक साधना में तत्पर हो
    यही मूलमंत्र है!

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