Monday, February 7, 2011

मुक्ति की कामना

मुक्ति की कामना

किसे नहीं है कामना मुक्ति की
जड़ –चेतन सभी तो हैं
उस पथ के राही !

बंधें हैं, तोडना चाहते बंधन
एक-दूजे से दूर भागते नक्षत्र
फ़ैल रहा है ब्रह्माण्ड !

अनंत की चाह है आकाशगंगाओं को
भी उतनी ही, जितनी
एक मानवीय आत्मा को !

अनिता निहालानी
७ फरवरी २०११

1 comment:

  1. आद.अनीता जी,
    किसे नहीं है कामना मुक्ति की
    जड़ –चेतन सभी तो हैं
    उस पथ के राही

    सचमुच बिना मुक्ति के चैन कहाँ !
    परमात्मा को समर्पित कविता के लिए आभार

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