श्रीसीतारामचंद्राभ्यां नमः
श्रीमद्वाल्मीकीयरामायणम्
अयोध्याकाण्डम्
नवतितम: सर्ग:
भरत और भरद्वाज मुनि की भेंट एवं बातचीत तथा मुनि का अपने ही आश्रम पर ही ठहरने का आदेश देना
धर्म ज्ञाता नरश्रेष्ठ भरत ने, निकट पहुँच कर आश्रम के
रुकने का आदेश दिया, सभी को आश्रम से कुछ पहले
अस्त्र-शस्त्र उतार कर रखे, राजोचित निज वस्त्र भी बदले
दो रेशमी वस्त्र पहनकर, पैदल ही गए उनसे मिलने
चले पुरोहित उनके आगे, मन्त्रीगण भी साथ गए थे
देख दूर से मुनिवर को फिर, वसिष्ठ मुनि संग आगे गए
मुनि भरद्वाज खड़े हो गए, 'लाओ अर्घ्य' कहा शिष्यों से
दोनों मुनिजन मिले आपस में, किया तब प्रणाम भरत ने
महातेजस्वी मुनि समझ गए, दशरथ नन्दन भरत यह हैं
कुल का कुशल-मंगल पूछा , अर्घ्य, पाद्य, फल देकर उनसे
सेना, खजाना, मित्र सहित, मन्त्रिमण्डल का हाल जाना
राजा मृत हैं उन्हें ज्ञात था, उनके विषय में कुछ न पूछा
मुनि वसिष्ठ व भरत ने भी तब, महर्षि की जानी कुशलता
अग्निहोत्र, शिष्य, पशु, पौधे, समाचार सभी का ज्ञात किया
‘सब ठीक है’ ऐसा कहकर, भरद्वाज मुनि भरत से बोले
तुम अयोध्या के राजा हो, किस कारण यहाँ तुम आये
शुद्ध नहीं है मेरा अंतर, तुम्हारे प्रति नहीं विश्वास
तुम थे कारण राम गए वन, अब क्या और करोगे घात
दुःख से भरी भरत की आँखें, लड़खड़ा गयी थी वाणी भी
आप भी यदि ऐसा कहते हैं, तब तो मैं बड़ा हतभागी
निश्चित रूप से मुझे ज्ञात है, मेरा नहीं कोई अपराध
नहीं कहें कठोर वचन ये, नहीं मानी माता की बात
मैं तो उन पुरुष सिंह को, अयोध्या में ले जाने आया
भगवन आप बताएं कहाँ, श्रीराम ने अब निवास बनाया
भरत का कुछ अपराध नहीं है, वसिष्ठ आदि मुनियों ने कहा
प्रसन्न होकर तब भरद्वाज ने, उनको आशीर्वचन कहा
तुम रघुकुल में जन्मे हो, श्रेष्ठ पुरुषों का अनुसरण करते
मुझे ज्ञात है भाव तुम्हारा, पूछा बस जिससे कीर्ति बढ़े
श्रीरामचन्द्र तुम्हारे भ्राता, चित्रकूट पर्वत पर रहते
आज यहीं विश्राम करो, यात्रा करना कल तुम आगे
मेरी इस अभिलाषा को तुम, पूरा करने में समर्थ हो
'ऐसा ही हो' कहा भरत ने,मान लिया मुनि आज्ञा को
इस प्रकार श्रीवाल्मीकि निर्मित आर्ष रामायण आदिकाव्य के अयोध्याकाण्ड में नब्बेवाँ सर्ग पूरा हुआ.
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-05-2020) को
"घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं" (चर्चा अंक-3716) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteअनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteआप सभी का स्वागत व आभार!
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