श्रीसीतारामचंद्राभ्यां नमः
श्रीमद्वाल्मीकीयरामायणम्
चतुर शीतितमः सर्गः
निषादराज गुह का अपने बन्धुओं को नदी की रक्षा
करते हुए युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दे भेंट की सामग्री ले भरत के पास जाना
और उनसे आतिथ्य स्वीकार करने के लिए अनुरोध करना
गंगा तट पर ठहरी सेना,
देख
कहा निषाद राजा ने
है अपार सागर के समान,
पार
नहीं मिलता चिंतन से
निश्चय ही दुर्बुद्धि भरत भी,
संग
आया इस सेना के
कोविदार चिह्नित पताका,
फहराती
उसके ही रथ पे
अपने मंत्रियों से यह पहले,
वध
हमारा करवाएगा
मुझे ज्ञात होता है ऐसा,
फिर
राम को मरवाएगा
राजलक्ष्मी दशरथ की यह,
केवल
स्वयं के लिए चाहता
श्रीराम
को वन में मारने, इसीलिए यह वन में आया
किंतु राम सखा हैं मेरे,
कामना
उनके हित की रखो
हो सुसज्जित अस्त्र-शस्त्र से,
गंगा
तट पर मौजूद रहो
नदी की रक्षा करने हेतु,
मल्लाह
सभी रहें तट पर
रात आज की यहीं बिताएं,
नौका
पर रखे फल खाकर
कुल पांच सौ नौकाएं हैं,
एक-एक
पर सौ जन बैठें
लैस हुए अस्त्रों-शस्त्रों से,
प्रति
पल सभी तैयार रहें
पुनः कहा निषादराजा ने,
सेना
भरत की पार लगेगी
यदि श्रीराम के प्रति भरत का,
भाव
हुआ संतोष जनक ही
ऐसा कहकर मिश्री,
फल,
मधु,
ले
गुह गये निकट भरत के
आते
देख उसे सुमन्त्र ने, विनीत की भांति शब्द
कहे
वृद्ध हुआ गुह संग परिजन के,
यहाँ
निवास किया करता
दंडकारण्य का मार्ग जानता,
श्रीराम
का यह है सखा
राम, लक्ष्मण कहाँ गये हैं,
इसे
ज्ञात है यह निश्चय ही
तुमसे आकर मिले दो अवसर,
शीघ्र
करो व्यवस्था इसकी
मिलने की अनुमति पाकर तब,
गुह
आया प्रसन्न चित्त से
बड़ी नम्रता से तब बोला,
मिलकर
राजकुमार भरत से
वन प्रदेश आपके लिए यह,
घर
में लगे बगीचे सा है
जो कुछ भी है पास हमारे,
वन-जंगल
सभी आपका है
रखा धोखे में हमें आपने,
आने
की नहीं दी सूचना
आपके स्वागत की तैयारी,
कुछ
भी तो हम कर पाए ना
सेवा में फल-मूल आपके,
स्वयं
निषाद तोड़ लाये हैं
कुछ सूखे, कुछ ताजे फल हैं,
वन्य
पदार्थ अन्य लाये हैं
आशा करते हैं आपकी,
सेना
रात यहीं ठहरेगी
दिया हुआ हमारा भोजन,
आदि
सहर्ष स्वीकार करेगी
नाना विध वस्तुओं से हम सब,
सेना
सहित सत्कार करें
प्रातः काल सैनिकों
के संग, यहाँ से आप प्रस्थान
करें
इस प्रकार श्रीवाल्मीकि
निर्मित आर्ष रामायण आदिकाव्य के अयोध्याकाण्ड में चौरासीवाँ सर्ग पूरा हुआ.
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06 -07-2019) को '' साक्षरता का अपना ही एक उद्देश्य है " (चर्चा अंक- 3388) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी