Friday, August 24, 2012

अष्टम सर्गः राजा का पुत्र के लिये अश्वमेधयज्ञ करने का प्रस्ताव और मंत्रियों तथा ब्राह्मणों द्वारा उनका अनुमोदन



श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम् 


अष्टम सर्गः
राजा का पुत्र के लिये अश्वमेधयज्ञ करने का प्रस्ताव और मंत्रियों तथा ब्राह्मणों द्वारा उनका अनुमोदन

धर्मज्ञ राजा दशरथ थे, पुत्र कामना हेतु चिंतित
नही था वंश चलाने वाला, महामनस्वी अति व्यथित

किया विचार हृदय में इक दिन, अश्वमेध यज्ञ मैं करूं
कहा सुमन्त्र से बुला के लाओ, गुरुजनों व पुरोहितों को

वेदविद्या के पारंगत थे, सब मुनि शीघ्र वहाँ आये
स्वागत किया सभी का नृप ने, अर्थ युक्त यह वचन सुनाये

पुत्र बिना व्याकुल हूँ मैं, सुख न देता राज्य भी मुझको
निश्चय किया कि यज्ञ करूं मैं, पाऊं पुत्र प्राप्ति के सुख को

शास्त्रोक्त विधि से अनुष्ठान हो, मनोवांछित वर पाऊं
करें विचार आप सब इस पर, कैसे मैं शांति पाऊं

राजा के ऐसा कहने पर, वशिष्ठ आदि ने किया अनुमोदन
अति शुभ विचार आपका, कहा सभी ने हो प्रसन्न  

संग्रह हो यज्ञ साम्रगी का, अश्व भी छोड़ें यज्ञ सम्बन्धी
सरयू तट पर बने यज्ञ भूमि, पूर्ण करो तुम इच्छा अपनी

कथन सुना जब यह राजा ने, हो संतुष्ट कहा मंत्रियों से
गुरुजनों की पूर्ण हो आज्ञा, विघ्न न आये इस यज्ञ में

8 comments:

  1. बहुत रोचक प्रस्तुति...आभार

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  2. बहुत सुन्दर....
    आभार....!!

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  3. धर्मज्ञ राजा दशरथ थे, पुत्र कामना हेतु चिंतित
    "नही" था वंश चलाने वाला, महामनस्वी अति व्यथित......नेज़ल (अनुनासिक )है ,"नहीं "
    सुन्दर काव्य कथांश .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    रविवार, 26 अगस्त 2012
    एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis
    एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis

    कई मर्तबा हमारी रीढ़ साइडवेज़ ज़रुरत से ज्यादा वक्रता लिए रहती है चिकित्सा शब्दावली में इसे ही कहा जाता है -Scoliosis .

    24 हड्डियों (अस्थियों )की बनी होती है हमारी रीढ़ (स्पाइन )जिन्हें vertebrae कहा जाता है .रीढ़ की हड्डी की गुर्री का एक अंश है ये vertebra जिसे कशेरुका भी कहा जाता है .रीढ़ वाले प्राणियों को कहा जाता है कशेरुकी जीव (vertebrate ).

    ये कशेरुका एक के ऊपर एक रखी होतीं हैं .रीढ़ को सामने से पीछे की ओर देखने पर वह सीधी (ऋजु रेखीय )ही दिखलाई देती है .

    बेशक रीढ़ एक दम से सीधी नहीं होतीं हैं और ऐसा होना एक दम से सामान्य बात है.नोर्मल ही समझा जाता है .लेकिन जब यही रीढ़ आढ़ी तिरछी टेढ़ी मेढ़ी ज़रुरत से ज्यादा होती है तब यह असामान्य बात है ,एक रोगात्मक स्थिति भी हो सकती है यह जिसका आपको ज़रा भी भान (इल्म )नहीं है .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  4. सार्थक पोस्ट , आभार.

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  5. आपके इस पोस्ट पर प्रथम बार आया हूं। बहुत ही अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  6. बहुत सुन्दर सार्थक पोस्ट
    आभार.

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  7. बहुत सुंदर
    ऐसी पोस्ट पहली बार पढने को मिली

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  8. कैलाश जी, पूनम जी, कविता जी, वीरू भाई, महेंद्र जी, प्रेम जी व शुक्ला जी आप सभी का स्वागत व आभार!

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