Tuesday, December 28, 2010

भावांजलि

जो मिला जितना मिला पर्याप्त है मेरे लिये,
तू यहीं मेरे निकट
मैं हूँ सदा तेरे लिये !

कितने आँसूं रोया यह दिल
सिसकी कितनी गुम गयी भीतर,
सी लिये अधर इस तरह यहाँ
यह आह ! सुन सके कोई गर !

कही अनकही दिल की बातें
गीतों में चुपचाप पिरोया,
रचा बसा अंतर में जो था
भाव सुधा में उसे डुबोया !

4 comments:

  1. भाव गीत में पिरो कर खिल उठे हैं!

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  2. तू यहीं मेरे निकट
    मैं हूँ सदा तेरे लिये !---बहुत सुंदर प्रार्थना

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  3. aneetaji,
    sarahniy sahity shrijan .
    rachna ka antim band bahut sundar laga.

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