Friday, February 25, 2011

नज्म

नज्म

आँखें हँसतीं रहीं लब मचलते रहे
नंगे पावों से राहों पे चलते रहे !

मेरी आहट पे खिलती बहारें हँसीं
फूल शाखों से राहों पे झरते रहे !

मीठी खुशबू मेरे खोये से गाँव की
जिसकी चाहत में आँसू पिघलते रहे !

मन जो रोशन हुआ जग भी रोशन हुआ
कदम बहके मगर फिर सम्भलते रहे !

अनिता निहालानी
२५ फरवरी २०११

4 comments:

  1. मीठी खुशबू मेरे खोये से गाँव की
    जिसकी चाहत में आँसू पिघलते रहे ! ....


    हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।

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  2. वाकई मन रोशन हो तो जग रोशन हो ही जाता है

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  3. मीठी खुशबू मेरे खोये से गाँव की
    जिसकी चाहत में आँसू पिघलते रहे ! ....


    बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने .वाह..

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