नज्म
आँखें हँसतीं रहीं लब मचलते रहे
नंगे पावों से राहों पे चलते रहे !
मेरी आहट पे खिलती बहारें हँसीं
फूल शाखों से राहों पे झरते रहे !
मीठी खुशबू मेरे खोये से गाँव की
जिसकी चाहत में आँसू पिघलते रहे !
मन जो रोशन हुआ जग भी रोशन हुआ
कदम बहके मगर फिर सम्भलते रहे !
अनिता निहालानी
२५ फरवरी २०११
सुंदर रचना।
ReplyDeleteमीठी खुशबू मेरे खोये से गाँव की
ReplyDeleteजिसकी चाहत में आँसू पिघलते रहे ! ....
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
वाकई मन रोशन हो तो जग रोशन हो ही जाता है
ReplyDeleteमीठी खुशबू मेरे खोये से गाँव की
ReplyDeleteजिसकी चाहत में आँसू पिघलते रहे ! ....
बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने .वाह..