मंदिर और शिवाला
यह तन एक मंदिर है
और मन शिवाला है
इस तन-मन में आन बसा एक नटखट ग्वाला है !
जब से वह आया
तन को महकाया,
जगमग ज्योति से
मन को चमकाया
यह तन जो दीप बना
और मन उजाला है
इस तन-मन में छुपा हुआ एक बांसुरी वाला है !
आनंद की वर्षा की
निज प्रेम दिया उसने,
अंतर्मन भिगो दिया
नेह किया जिसने
जो दूर बसा जा के
वह गोकुल वाला है
इस तन-मन में आन बसा एक बाल गोपाला है !
अनिता निहालानी
२० फरवरी २०११
अति सुंदर कोमल अभिव्यक्ति -
ReplyDeleteजो दूर बसा जा के
ReplyDeleteवह गोकुल वाला है
इस तन-मन में आन बसा एक बाल गोपाला है !
बहुत भक्ति से परिपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..
वाह!
ReplyDeleteबहुत अच्छी आध्यात्मिक प्रस्तुति।
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
ReplyDeleteअनीता जी, आपके विचार अनुकरणीय हैं।
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शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।