कौन है वह
रचे किसने अनंत ब्रह्मांड
आकाशगंगाएँ, अनगिनत नक्षत्र, सौर मंडल
ग्रह, उपग्रह प्रकटे कहाँ से
इस असीम को कर ससीम
धारे जो भीतर
कौन है वह?
झांकता है कौन मन से
पुलक, चाह, हँसी, गति
क्यों छलके नयन से
कौन जिसको थपकियाँ देती हवा
लोरियाँ प्रकृति सुनाती
गीत गा गा खग जगाते
कौन वह? किसके लिये
ये चाँद सूरज जगमगाते ?
अनिता निहालानी
२६ फरवरी २०११
यही तो सबकी खोज है और जिसने पा लिया उसे और कुछ जानने की चाह नही रहती।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्तिपूर्ण और सार्थक रचना..
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!!
ReplyDeletebehad khoobsurat.
ReplyDeletechhayavadi kviyon jaisi rhasyvadi kvita
ReplyDeletebdhaai ho
------ sahityasurbhi.blogspot.com
शायद आप को यह गीत अच्छा लगे ...
ReplyDeletehttp://satish-saxena.blogspot.com/2008/11/blog-post_03.html