Friday, February 25, 2011

कौन है वह


कौन है वह

रचे किसने अनंत ब्रह्मांड 
आकाशगंगाएँ, अनगिनत नक्षत्र, सौर मंडल
ग्रह, उपग्रह प्रकटे कहाँ से
इस असीम को कर ससीम
धारे जो भीतर
कौन है वह?

झांकता है कौन मन से
पुलक, चाह, हँसी, गति
क्यों छलके नयन से
कौन जिसको थपकियाँ देती हवा
लोरियाँ प्रकृति सुनाती
गीत गा गा खग जगाते  
कौन वह? किसके लिये
ये चाँद सूरज जगमगाते ?

अनिता निहालानी
२६ फरवरी २०११



7 comments:

  1. यही तो सबकी खोज है और जिसने पा लिया उसे और कुछ जानने की चाह नही रहती।

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  2. बहुत सुन्दर भक्तिपूर्ण और सार्थक रचना..

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  3. सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति!!

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  5. chhayavadi kviyon jaisi rhasyvadi kvita
    bdhaai ho

    ------ sahityasurbhi.blogspot.com

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  6. शायद आप को यह गीत अच्छा लगे ...
    http://satish-saxena.blogspot.com/2008/11/blog-post_03.html

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