मुक्ति की कामना
किसे नहीं है कामना मुक्ति की
जड़ –चेतन सभी तो हैं
उस पथ के राही !
बंधें हैं, तोडना चाहते बंधन
एक-दूजे से दूर भागते नक्षत्र
फ़ैल रहा है ब्रह्माण्ड !
अनंत की चाह है आकाशगंगाओं को
भी उतनी ही, जितनी
एक मानवीय आत्मा को !
अनिता निहालानी
७ फरवरी २०११
आद.अनीता जी,
ReplyDeleteकिसे नहीं है कामना मुक्ति की
जड़ –चेतन सभी तो हैं
उस पथ के राही
सचमुच बिना मुक्ति के चैन कहाँ !
परमात्मा को समर्पित कविता के लिए आभार