श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
षोडशः सर्गः
देवताओं का श्रीहरि से रावण वध के लिए मनुष्य रूप में अवतरित होने को कहना, राजा
के पुत्रेष्टि यज्ञ में अग्निकुंडसे प्राजापत्य पुरुष का प्रकट होकर खीर अर्पण करना
और उसे खाकर रानियों का गर्भवती होना
जाम्बूनद नामक सुवर्ण से, जिसे तपाया गया अग्नि में
बनी हुई थी बड़ी परात, ढकी थी चांदी के ढक्कन से
उसे उठाये था हाथों पर, मायामयी सी लगती थी वह
जैसे कोई रसिक लिए हो, प्रियतमा पत्नी को गह
किया नरेश ने स्वागत उसका, भगवन ! क्या मैं सेवा करूं ?
प्राजापत्य पुरुष यह बोला, प्राप्त हुआ है तुम्हें चुरू
खीर बनाई है देवों ने, तुम आराधक हो जिनके
धन, आरोग्य बढ़ाने वाली, संतति भी प्रदान करे
योग्य पत्नियों को दो खीर, पूर्ण कामना होगी इससे
पुत्र अनेकों होंगे प्राप्त, जिस कारण तुम यज्ञ कर रहे
“बहुत अच्छा” कहा राजा ने, हो हर्षित, ली स्वर्ण परात
दिव्य पुरुष की दी हुई खीर, मस्तक पर ली उसने धार
की परिक्रमा दिव्य पुरुष की, आनंद से प्रणाम किया
हर्षित अति हुए नरेश फिर, मानो धन, निर्धन को मिला
अन्तर्धान हुआ पुरुष वह, परम तेजस्वी,
अद्भुत था जो
राजा गए खीर ले भीतर, अंतः पुर को हर्षित हो
हर्षित हो रानियाँ शोभित, जैसे शरद कालीन आकाश
कांतिमयी किरणों से प्रकाशित, चन्द्र लुटाता हो प्रकाश
कौसल्या से बोले राजा, देवी, खीर यह ग्रहण करो
पुत्र दिलाने वाली है यह, आधा भाग दिया उसको
बचे हुए आधे का आधा, दिया सुमित्रा को राजा ने
कैकेयी को शेष का आधा, शेष पुनः सुमित्रा ने
अमृत सम वह खीर बाँट दी, इस प्रकार राजा दशरथ ने
हर्षित हुआ चित्त सभी का, माना इसे सम्मान उन्होंने
तीनों साध्वियाँ थीं प्रसन्न, उस उत्तम खीर को खाकर
तेजस्वी अग्नि व सूर्य सम, पृथक-पृथक गर्भ धारण कर
अति हर्षित थे राजा दशरथ, पूर्ण मनोरथ हुआ जानकर
ज्यों स्वर्ग में हरि पूजित हैं, राजा पूजित हुए धरा पर
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्य के बालकाण्ड में सोलहवाँ सर्ग
पूरा हुआ.
बहुत सुन्दर है .
ReplyDeleteबहुत अच्छा हिंदी अनुबाद
ReplyDeleteNew post कृष्ण तुम मोडर्न बन जाओ !
बहुूत सुन्द प्रस्तुति!
ReplyDeleteअनुवाद का काम सरल नहीं होता मगर आपने इसको सफलता से किया है।
शास्त्री जी, बहुत बहुत आभार ! दरअसल यह अनुवाद भी नहीं है बल्कि काव्य में रूपातंरण भर है.
Deleteआभार आपकी टिपण्णी का .
ReplyDeleteआप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 8 फरवरी की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...
ReplyDeleteआप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।
भूलना मत
htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com
इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।
सूचनार्थ।
कुलदीप जी, स्वागत है आपका..आभार !
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletetoo good -****
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