निर्मल जल की धार बहायी
अंजलि भर भर तुमने पायी,
मर्मर स्वर सँग पत्ते कांपे
कोकिल की दी कूक सुनाई,
तुमने जब पूछा परिचय था
झुमा पुष्प सुखद मतवाला,
मधु स्मृति बन अंकित वह पल
उसी तरह प्रतीक्षित बाला !
समय का पंछी उड़ता जाये
जाग ! अरे, ओ जाग यात्री !
मन के भीतर अंधकार क्यों
ज्योति युक्त हर बने रात्रि !
अनिता निहालानी
१८ दिसंबर २०१०
सुन्दर!
ReplyDeletebhut achi rachna
ReplyDeleteAnita ji,
ReplyDeleteJinka chitran kiya hai.
unse mil pai hain ya nahi?
koshish kijiye aap shayad jyada jan payengi.
Han main Thakur ki bat kar rahi hun.
aaj kaisi sunder dunia hai.vah mahashakti yahi ao vidyaman hai,