उस दिन स्वप्न से जैसे जगकर
हुआ चकित मन तुमसे मिलकर !
ज्यों ही झलक मिली मूरत की
टूटी जन्मों की बेहोशी !
मुस्कान तुम्हारी मोहित कर
मेरी सुधबुध ले गयी हर !
बरसायी अकारण करुणा तुमने,
ओ स्वामी करुणा वरुणालय !
दिया अहैतुक प्रेम तुम्हीं ने
प्रेमसरोवर ! ओ प्रेमालय!
karunanidhan ko pranaam!
ReplyDeletebahut sundar!!
बरसायी अकारण करुणा तुमने,
ओ स्वामी करुणा वरुणालय !
दिया अहैतुक प्रेम तुम्हीं ने
प्रेमसरोवर ! ओ प्रेमालय!
waah!
bhut sundar avibyakti.....
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