गीतों के शब्दों में घुलमिल
सुख की धार पिघल जाये,
धरती हँसती, हँसता अम्बर
स्वर भीतर के हँस बह जाएँ !
गरजें बादल तो लगे हँसे
विद्युत भी चमके मुस्काए,
आनंद भरे कण - कण में अब
पीड़ा में भी हम हरषाएं !
जीवन तो सुख का स्रोत बने
मृत्यु भी हमें हँसा जाये !
ओ चितचोर ! प्रभु मेरे
डोल रही है गूंज प्रेम की
छन पत्तों से आये उजाला ,
मेघ उड़ें नभ में अलसाये
बहता समीर तन सहलाए,
दे रहे गवाही मिल ये सब
ओ चितचोर ! मुझे बतलायें
तुम मुझसे मिलने नित आते
मन मेरा लख झुक झुक जाये !
सुख की धार पिघल जाये,
धरती हँसती, हँसता अम्बर
स्वर भीतर के हँस बह जाएँ !
गरजें बादल तो लगे हँसे
विद्युत भी चमके मुस्काए,
आनंद भरे कण - कण में अब
पीड़ा में भी हम हरषाएं !
जीवन तो सुख का स्रोत बने
मृत्यु भी हमें हँसा जाये !
ओ चितचोर ! प्रभु मेरे
डोल रही है गूंज प्रेम की
छन पत्तों से आये उजाला ,
मेघ उड़ें नभ में अलसाये
बहता समीर तन सहलाए,
दे रहे गवाही मिल ये सब
ओ चितचोर ! मुझे बतलायें
तुम मुझसे मिलने नित आते
मन मेरा लख झुक झुक जाये !
प्रभु का सान्निध्य... ही सबकुछ है!
ReplyDeleteसुन्दर!
धरती हँसती, हँसता अम्बर
ReplyDeleteस्वर भीतर के हँस बह जाएँ !
गरजें बादल तो लगे हँसे
विद्युत भी चमके मुस्काए,---
हे प्रभु,हमे भी ऐसी आखें दे दो.