Sunday, May 1, 2011

तेरा मेरा मेल हो कैसे



तेरा मेरा मेल हो कैसे

तू अनंत आकाश सरीखा
यह नन्हा दिल एक झमेला 
तू सनातन शांत सदा है
यहाँ विचारों का इक मेला  
तू सत्य है सदा एक सा
बदल रहा यहाँ हर पल खेला
तू प्रेम है सुना यही है
यहाँ प्रेम सँग घृणा भी बसती
देख भाल के ठोंक बजा के
होठों पर मुसकान ठहरती
किसको दें किसको न दें
कितनी दें कितनी कम कर लें
भीतर रस्साकशी है चलती
तू दयालु नित बाँट रहा है
यहाँ तो मन बस छांट रहा है
तेरा मेरा मेल हो कैसे
मन कैसे हो तेरे जैसे
तू तृप्त है संतोषी भी
यहाँ सदा दिल मांगे मोर
तू सबका अन्तर्यामी है
यहाँ खुद से भी हाल छुपाते  
कुछ सदा भुलावे में रहते
कुछ बहला के गम भुलाते
तू दाता है दानी ज्ञानी
हम बचा-बचा रखते खाते  
स्विस बैंकों के हम दीवाने
सड़ जाये भले गोदामों में
भूखों को अन्न नहीं देते
तू माखन चोर कहाये है
हम लाखों कोटि डकार गए
तेरा बस नाम ही प्यारा है
तुझसे कोई सरोकार नहीं
जब काम निकलता है उससे
तब तू भी हमें स्वीकार नहीं
तू नजर नहीं आता हमको
हमने विज्ञापन दे डाले
मंदिर में दान दिया था कुछ
पत्थर पे नाम खुदवा डाले
तू प्रेम करे बेशर्त सदा
हम सट्टेबाज बड़े शातिर
तुझको भी न हम छोड़ेंगे
कुछ कागज के नोटों खातिर
कभी नाश नहीं होता तेरा
तू अविनाशी अखंड सदा
हम बम बनाये जाते हैं
भाते हैं युद्ध प्रचंड सदा
तेरा मेरा मिलन क्या संभव
तू जीवन है और मृत्यु भी
अमृत भी तू और महा गरल
तू कठिन बड़ा और सरल भी तू
तू जग भी है जगदीश्वर भी
अरदास भी तू आशीष भी तू !

अनिता निहालानी
१ मई २०११
   



12 comments:

  1. सत्य को बताती बहुत ही अध्यात्मिक।

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  2. अनीता जी ,
    बहुत सुन्दर भाव हैं रचना के ...एकदम सत्य ..बहुत खूब

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  3. ईश्वर की महिमा का बखान करती ç9;क और प्रार्थना.

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  4. मन को छू गई आपकी रचना। बहुत सुंदर

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  5. तू प्रेम है सुना यही है
    यहाँ प्रेम सँग घृणा भी बसती
    देख भाल के ठोंक बजा के
    होठों पर मुसकान ठहरती

    ...बहुत सुन्दर भाव..हरेक पंक्ति सत्य को उजागर करती हुई. बहुत प्रभावमयी रचना..आभार

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  6. bhut sunder bhaavo se bhari rachna... very nice...

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  7. तू जीवन है और मृत्यु भी
    अमृत भी तू और महा गरल
    तू कठिन बड़ा और सरल भी तू
    तू जग भी है जगदीश्वर भी
    अरदास भी तू आशीष भी तू !

    sundar...bahut sundar..!!

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  8. बहुत सुंदर रचना -
    सत्य वर्णन करती हुई ..!!

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  9. बहुत अच्छी आध्यात्मिक कविता है.

    सादर

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  11. भक्तिभाव एवं भौतिकता की दोनों तस्वीरों को बड़ी सच्चाई के साथ व्याख्यायित किया है आपने अपनी रचना में ! बहुत सुन्दर रचना !

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  12. ह्र्दय से निकली सुन्दर अभिव्यक्ति्…..….

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