अब न कोई राज छिपे
बहुत हो गयी आंखमिचौली
बहुत छकाया है तुमने,
बहुत झुलाया उड़नखटोला
बहुत दिखाए हैं सपने !
सांपसीढ़ी का खेल नहीं अब
फलक कभी, जमीं दिखाते
पल भर की बस झलक दिखा के
फिर पर्दों में छिप जाते !
अब तो अंतिम बेला आयी
आर-पार का युद्ध चले
मान मनौवल बहुत हो गया
अब ना कोई राज छिपे !
जो त्याज्य है जायेगा अब
सिहांसन खाली होगा
आकर वही विराजेगा जो
उपवन का माली होगा !
अनिता निहालानी
५ मई २०११
bhut hi acchi rachna...
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteEXCELLENT....
ReplyDeleteWELCOME ON MY BLOGS.
जो त्याज्य है जायेगा अब
ReplyDeleteसिहांसन खाली होगा
आकर वही विराजेगा जो
उपवन का माली होगा !
ekdam sahi kaha hai....
क्या ही मधुर चाह है!मान गए .
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत चिंतन और वर्णन ।
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