ध्यान
चलो खुद से मिलें
सोहम् की पतवार थामे
मनसागर में दूर तक निकलें !
चलो अन्तर्पट खोलें
नयनों के द्वार बंद कर
निधियों के अम्बार से सच्चे मोती पालें !
चलो मन से बतियायें
मन जो धुला-धुला सा
निष्पाप, निर्दोष
उसे जानें
श्वासों की लय पर जो थिरका
कभी हँसा, उसे गा लें
अनिता निहालानी
१७ जनवरी २०११
sundar rachna!
ReplyDeleteश्वासों की लय पर जो थिरका
ReplyDeleteकभी हँसा, उसे गा लें
जय गुरु देव -
सुंदर अभिव्यक्ति
मन शांत कर गयी -