Monday, January 10, 2011

अनुभूति

अनुभूति

जैसे कोई गागर में प्यार भरे
और उड़ेल दे
पोर-पोर सिहरे
डूब जाये मन अपने ही गह्वर में !

 जैसे कोई नयनों में मनुहार भरे
और तकता रहे
निर्निमेष
भीग जाये मन उस शीतल आग में !

या फिर कोई हाथ थामे
और ले चले
निज सँग
आनंद, शांति और प्रेम के गाँव में !

अनिता निहालानी
११ जनवरी २०११  

3 comments:

  1. या फिर कोई हाथ थामे
    और ले चले
    निज सँग
    आनंद, शांति और प्रेम के गाँव में !


    बहुत खूबसूरत अनुभूति
    बधाई -

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  2. इस अनुभूति से कुछ हम भी भीग से गए हैं पोर-पोर...... . सच......!!

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  3. आनंद, शांति और प्रेम के गाँव में..........सुन्दर !

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