वह
वह आया
भीतर हजार-हजार किरणें फूटीं
खिले उपवन
भर गया खालीपन !
खो गया भिक्षुक पन
किरणों की ओट में
उग आये शांति कमल !
शिशु सा निष्पाप
निष्पाप रुदन
निर्दोष हास्य
देने आया !
तोड़ बेडियाँ
मुक्त हास के घट भर-भर
भीतर-बाहर धोने आया !
अनिता निहालानी
८ जनवरी २०११
वह आया
ReplyDeleteभीतर हजार-हजार किरणें फूटीं
खिले उपवन
भर गया खालीपन !
बहुत सुंदर प्रस्तुति -
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDelete... sundar rachanaa !!
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