Tuesday, April 26, 2011

पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे


पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे 

नृत्य समाया हर मुद्रा में
उर में वीणा की झंकार
कंठ उगाए गीत मधुरिमा
कहाँ छिपा था इतना प्यार ?

आधी रात उजाला बिखरा
नयनों में ज्यों भरी पुकार
जागे-जागे स्वप्न हो गए
लगता है कोई चमत्कार !

पुलक उठे है पोर-पोर में
धड़क रहा है यूहीं दिल
कोई खबर भोर की लाए
क्या करीब है अब मंजिल ?

इच्छा, ज्ञान, क्रिया शक्ति के
पार हुआ मन अब मुक्ति के
खुले पट सब स्पष्ट हो गया
पुष्प खिले हैं जब भक्ति के !

नर्तक कौन, कौन कवि है
कौन सुनाये, सुनता वीणा
कौन तलाश रहा मंजिल को
कोई भी नही वहाँ दीखता !

एक तत्व का खेल है सारा
वही प्रिय वही प्रियतम प्यारा
स्वयं ही गाये झूमे स्वयं ही
प्रेम गली में न दो का पसारा !

अनिता निहालानी
२७ अप्रैल २०११

   

15 comments:

  1. वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
    बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
    अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
    आपका मित्र दिनेश पारीक

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. सही कहा आपने। एक ही तत्‍व का खेल है, पर इस खेल को समझ बहुत कम लोग पाते हैं।

    ---------
    देखिए ब्‍लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
    अंधविश्‍वासी आज भी रत्‍नों की अंगूठी पहनते हैं।

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  4. आप मेरे ब्लॉग पे आये अच्छा लगा और आपके विचारो पड कर मन प्रसन हो गया बस आप से येही आशा है की अप्प असे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहेंगे और अपने कुछ गलतियों की बात की जो आगे से मैं जरुर धयान में रखुगा
    धन्यवाद्

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  5. एक तत्व का खेल है सारा
    वही प्रिय वही प्रियतम प्यारा
    स्वयं ही गाये झूमे स्वयं ही
    प्रेम गली में न दो का पसारा ..

    गहन दर्शन की बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार

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  6. रहस्यवादी ,सुन्दर कविता । शुभकामनाओं के लिये ह्रदय से आभारी हूँ ।

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  7. hridaygrahi manoram srijan achha laga .abhhar ji

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  8. aap bahut hi bahut hi bahut hi accha likhte ho :)shabdo ka chayan bahut hi accha aur shabdon is prakar se aapne piroya hai jaise koi suon ko pirota hai ek manmohak geet main, adbhut hai bahut madhur aur sundar....

    अक्षय-मन "!!कुछ मुक्तक कुछ क्षणिकाएं!!" से

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  9. इच्छा, ज्ञान, क्रिया शक्ति के
    पार हुआ मन अब मुक्ति के
    खुले पट सब स्पष्ट हो गया
    पुष्प खिले हैं जब भक्ति के !

    मन को सुकून देती रचना ..

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  10. एक तत्व का खेल है सारा
    वही प्रिय वही प्रियतम प्यारा
    स्वयं ही गाये झूमे स्वयं ही
    प्रेम गली में न दो का पसारा !

    बहुत ही सुन्दर ! आभार.

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  11. एक तत्व का खेल है सारा
    वही प्रिय वही प्रियतम प्यारा

    goodh abhivyakti
    lekin madhur..

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