Monday, September 26, 2011

आत्म ज्ञान का अधिकारी कौन


श्री मद् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित

विवेक – चूड़ामणि



आत्म ज्ञान का अधिकारी कौन

जो अधिकारी है ज्ञान का, फल सिद्धि उसी को सम्भव
मन में यदि जिज्ञासा उत्तम, देश, काल भी हैं सहायक

सद्गुरु श्रेष्ठ ब्रह्मज्ञानी है, शरण में उनकी जाना होगा
आत्म तत्व का जो जिज्ञासु, अहंकार मिटाना होगा

बुद्धिमान हो व विद्वान, तर्क वितर्क जिसे आता है
आत्म ज्ञान का अधिकारी भी, वह चाहे तो बन सकता है

विवेक वान, वैरागी मन का, शम, दम आदि से संयुक्त
ब्रह्म को वह ही पा सकता, जिसके भीतर जगा मुमुक्षत्व

   

5 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर धारा बह रही है…………आभार्।

    ReplyDelete
  2. बहुत ज्ञानप्रद प्रस्तुति...आभार

    ReplyDelete
  3. बुद्धिमान हो व विद्वान, तर्क वितर्क जिसे आता है
    आत्म ज्ञान का अधिकारी भी, वह चाहे तो बन सकता है

    बहुत सुन्दर और प्रेरणा देती रचना

    ReplyDelete
  4. बुद्धिमान हो व विद्वान, तर्क वितर्क जिसे आता है
    आत्म ज्ञान का अधिकारी भी, वह चाहे तो बन सकता है
    bahut hi badhiyaa

    ReplyDelete



  5. आपके यहां आत्मा की आवश्यकता पूरी होती है … आभार !

    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete