अनीता जी, बहुत प्यारे हैं आपकी कविता के भाव। बधाई स्वीकारें।................वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।
बहुत सुन्दर..
पथ है बीहड़ लक्ष्य दूर है इस यात्रा का अंत नहीं क्या, द्वार द्वार खोजतीं आँखें पता नहीं पाया मंजिल का !great
अनीता जी, बहुत प्यारे हैं आपकी कविता के भाव। बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteपथ है बीहड़ लक्ष्य दूर है
ReplyDeleteइस यात्रा का अंत नहीं क्या,
द्वार द्वार खोजतीं आँखें
पता नहीं पाया मंजिल का !
great