हे प्रभु ! अपनी शरण में ले लो
इस घट को अब खाली कर दो
भाव पुष्प मुरझा ना जाये
अपने चरणों में ही धर दो !
छोड़ दिया अभिमान प्रीत का
सुंदर, सरस भक्ति गीत का
सहज, सरल शब्दों में अर्पित
अपना लो यह हृदय मीत का !
नहीं चाहियें मोती माणिक
धन-दौलत, अनमोल खजाने
जो तुमसे दूर ले जाएँ
नहीं चाहियें वेश सुहाने I
अदभुत....
ReplyDeleteनहीं चाहियें मोती माणिक
ReplyDeleteधन-दौलत, अनमोल खजाने
जो तुमसे दूर ले जाएँ
नहीं चाहियें वेश सुहाने I
behatrin.