श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से
श्रीरामचरित्र सुनाना
अपरिमित बुद्धि के स्वामी, कपि ने की प्रदक्षिणा राम की
सत्य निवेदन किया तब उनसे, छवि देखी है सीता जी की
इसके बाद सुग्रीव के सँग, राम गये थे सागर तट को
सूर्य समान तेज बाणों से, क्षुब्ध किया महासागर को
प्रकट किया सागर ने स्वयं को, पुल निर्माण किया राम ने
उस पुल से जा पहुँचे लंका, नाश किया रावण का उनने
मिलन हुआ सीता से उनका, लज्जित हुए राम मिल उन्हें
प्रवेश किया अग्नि में सुन के, मर्म
भेदी थे वचन राम के
अग्नि के कहने पर सीता को, माना राम ने निष्कलंक
महान कर्म से इस राम के, देव, ऋषि सब हुए संतुष्ट
राम हुए पूजित देवों से, भरा पुलक से अंतर को
हो कृतार्थ अभिषिक्त किया, लंक राज्य पर विभीषण को
दिया वानरों को पुनः जीवन, देवों से
पा वर राम ने
सभी साथियों सँग चले, प्रस्थान किया पुष्पकविमान से
यह अंक पढ़ा।
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