श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से
श्रीरामचरित्र सुनाना
भरद्वाज मुनि के आश्रम, पराक्रमी राम जब पहुँचे
हनुमान को भेजा मिलने, अवध पुरी में वीर भरत से
बातें करते सुग्रीव से, जा पहुँचे वे नंदीग्राम तब
कटा जटाएं सँग भाई के, राजसिहांसन प्राप्त किया अब
राम राज्य में लोग सुखी व, संतुष्ट व पुष्ट रहेंगे
दुर्भिक्ष का भय न होगा, रोग-व्याधि से मुक्त रहेंगे
पुत्र की मृत्यु नहीं देखेंगे, विधवा नहीं होंगी महिलाएं
पतिव्रता होंगी नारियां, धर्म वृत्ति को सब पनपायें
अग्नि से भी भय न होगा, जल में डूब न कोई मरेगा
वात से पीड़ित न होंगे नर, ज्वर का भी न भय होगा
क्षुधा नहीं सताएगी तब, चोरी का भी भय न होगा
नगर-राष्ट्र होंगे सम्पन्न, सतयुग सा ही आलम होगा
महायशस्वी राम करेंगे, अश्वमेध यज्ञ सौ गिनकर
विधि पूर्वक दान करेंगे, सुवर्णों की दक्षिणा देकर
ग्यारह हजार वर्ष चलेगा, राम राज्य सुंदर धरती पर
वर्ण सभी निज धर्म में स्थित, राम
पधारें परमधाम तब
पाप का नाशक व पुण्य मय, वेदों सा पावन है ज्ञान यह
रामचरित को जो भी पढेगा, सब पापों से मुक्त हुआ वह
आयु बढ़ाने वाला है यह, मृत्यु बाद भी स्वर्ग मिलेगा
पुत्र, पौत्र अन्य परिजन सँग, उच्च लोक को प्राप्त करेगा
ब्राह्मण पढ़े, बने विद्वान, पढ़े क्षत्रिय तो राज्य मिलेगा
वैश्य लाभ व्यापार में पाए, शुद्र को भी सम्मान मिलेगा
इस प्रकार श्री बाल्मीकि निर्मित आदि रामायण आदि
काव्य के बालकाण्ड का पहला सर्ग पूरा हुआ.
बहुत सुन्दर और रोचक श्रंखला....आभार
ReplyDeleteaabhaar aapka anita ji :)
ReplyDeletebahut accha....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, आभार!
ReplyDeleteब्राह्मण पढ़े, बने विद्वान, पढ़े क्षत्रिय तो राज्य मिलेगा
ReplyDeleteवैश्य लाभ व्यापार में पाए, शुद्र को भी सम्मान मिलेगा
बहुत ही रोचक श्रॄंखला है।