श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से
श्रीरामचरित्र सुनाना
पीत वर्ण सुवर्ण सम जिसका, सुग्रीव ने की गर्जना
महानाद सुन वाली निकला, तारा को देकर सांत्वना
युद्ध हुआ दोनों वीरों में, राम ने वाली मार गिराया
सुग्रीव को दिया सिंहासन, बना नरेश उसे बिठाया
सभी वानरों को भेजा फिर, सुग्रीव ने चार दिशा में
निकल पड़े हजारों वानर, जानकी का पता लगाने
हनुमान को दी प्रेरणा, सम्पाति नामक गृध ने
सौ योजन विस्तार सिंधु का, लाँघा कूदकर वीर कपि ने
रावण पालित लंकपुरी में, चिंतामग्न विराजें सीता
अशोकवाटिका में बैठी थीं, जब हनुमान ने उनको देखा
दे अपनी पहचान उन्हें, दिया संदेशा राम का
विदेहनन्दिनी को दी सांत्वना, तोड़ा द्वार वाटिका का
सेनानायक पांच हत हुए, सात मंत्री कुमारों सहित
मृत हुआ अक्षय कुमार जब, बंधे कपि स्वयं राम हित
ब्रह्मा जी का था वरदान, ब्रह्म पाश से मुक्त हो सकें
स्वेच्छा से दोष स्वीकारा, राक्षसों द्वारा सहज बंधे
आग लगायी लंका को तज, मिथिलेश कुमारी के स्थान को
लौट गए फिर महाकपि, प्रिय संदेश सुनाने राम को
बहुत रोचक प्रस्तुति...आभार
ReplyDeleteसहज ,सरल और रोचक प्रस्तुति.
ReplyDeleteअच्छा लगा पढकर.
कैलाश जी, राकेश जी, स्वागत व आभार!
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