Saturday, March 17, 2012

श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्


श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः 

श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से श्रीरामचरित्र सुनाना 



त्रिलोकी के ज्ञाता नारद, वाल्मीकि से सादर बोले
इक्ष्वाकु के वंश में राम, युक्त पुरुष हैं सभी गुणों से

बुद्धिमान, महाबलवान, जितेन्द्रिय व धैर्यवान हैं
नीतिज्ञ, वक्ता अद्भुत वह, शत्रु संहारक भी हैं

आजानुभुज, चौड़े स्कंध, शंख समान है ग्रीवा उनकी
ठोड़ी मांसल, वक्ष विशाल, भव्य ललाट, हैं बड़े प्रतापी

कद मध्यम, तन सुडौल है, नयन बड़े शोभायमान हैं
धर्म के ज्ञाता, ज्ञानी, पावन, श्री सम्पन्न प्रजा पालक हैं

स्वधर्म, स्वजनों के पालक, वेद वेदांगों के तत्ववेत्ता
धनुर्वेद में बड़े प्रवीण, अखिल शास्त्रों के वह ज्ञाता

3 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. कितना सुन्दर है न ये ?
    :)
    आभार

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  3. वन्दना जी व शिल्प जी, आपका आभार... हाँ यह सुंदर है, ईश्वर सत्य, शिव और सुंदर जो है.

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