श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से श्रीरामचरित्र सुनाना
तप व स्वाध्याय में रत थे, नारद मुनि श्रेष्ठ मुनियों में
उनसे पूछा प्रश्न अनोखा, वाल्मीकि तपस्वी जी ने
कौन है इस युग में मुनिवर, गुणवान और वीर पुरुष
दृढ़ प्रतिज्ञ, सत्यवक्ता, धर्मज्ञ और प्रियदर्शन
अक्रोधी, कान्तिमान, जिसका मन पर है अधिकार
हितसाधक हर इक प्राणी का, देव भी करते जिससे प्यार
हे मुनिवर यह आप कहें, आप बताने में हैं समर्थ
उत्सुक हूँ मैं मुझे बताएं, किसमें हैं यह गुण दुर्लभ
मेरा मन था इसे पढ़ने का,तुमने तो मन मांगी मुराद बिना कहे ही पूरी कर दी.
ReplyDeleteदीदी, तब तो आपके रूप में मुझे एक नियमित पाठक मिल ही गया.
Deleteवाह - रामायण मुझे बहुत प्रिय है | अनीता जी - आपका आभार यह शृंखला शुरू करने के लिए :)
ReplyDeleteशिल्पा जी, आभार आपका भी मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये...
Deleteसुंदर ..............
ReplyDeleteआपका स्वागत है
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