Monday, April 16, 2012

श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्


श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से श्रीरामचरित्र सुनाना 


लौट गए जब भरत अयोध्या, सत्यप्रतिज्ञ जितेन्द्रिय राम ने  
नागरिकों से बचने हेतु, धाम बनाया दण्डक वन में

उस महान वन में राम ने, विराध राक्षस को मारा
शरभंग, सुतीक्ष्ण, अगस्त्य मुनि सँग, मिले वहाँ उनके भ्राता

एंद्र धनुष प्रसन्न हो पाया, अगस्त्य मुनि की थी विनती
जिसके बाण कभी न घटते, दो तुणीर व एक खड्ग भी

वनचरों के साथ थे रहते, सभी ऋषि मिलने आये
असुर, राक्षसों के वध हेतु, राम से थे कहने आये

दण्डक वन की अग्नि के सम, तेजस्वी थे सभी ऋषि
वचन दिया राक्षस वध का, प्रतिज्ञा की राम ने रण की

जनस्थान निवासिनी थी जो, इच्छानुसार रूप धरती थी
शूर्पणखा को किया कुरूप, जो अशोभनीय कृत्य करती थी

शूर्पणखा के कहने से जो, राक्षस गण युद्ध को आये
खर, दूषन, त्रिशिरा व अन्य, राम के हाथों मृत्यु पाए

चौदह हजार थे संख्या में जो, राक्षस जनस्थानवासी
मारे गए राम के हाथों, मृत्यु आयी थी उनकी

5 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर चित्रण....आभार

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  2. बहुत रोचक प्रस्तुति...आभार

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  3. इस काम के लिए आपको जितना साधुवाद दिया जाए वह कम है!

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  4. ati sundar shabd chitra jaise....

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  5. आप सभी सुधीजनों का आभार व स्वागत !

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