Thursday, April 19, 2012

श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्


श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
प्रथमः सर्गः
नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से श्रीरामचरित्र सुनाना 


खबर सुनी कुटुंब वध की, अति क्रोध से हुआ मूर्छित
रावण नामक असुर मिला, मारीच से सहायता हित

समझाया मारीच ने उसको, राम बली हैं, विरोध न करो
किन्तु काल की प्रेरणा ही थी, टाल गया उसके वचनों को

मायावी मारीच के द्वारा, राम, लखन को दूर हटाया
स्वयं सीता का हरण किया, जटायु को मार गिराया

आहत देख जटायु को, सुन कर सीता हरण की बात
व्याकुल होकर करें विलाप, हुए शोक से पीड़ित राम

उसी शोक में डूबे रहकर, किया खग का अंतिम संस्कार
गए खोजने सीता को जब, कबंध असुर का किया संहार

मृत्यु से पहले कबंध ने, शबरी का पता बतलाया
दशरथ सुत रामने स्वयं को, सन्यासिनी के आश्रम पर पाया

शबरी ने किया पूजन उनका, थे शत्रुहन्ता, तेजस्वी राम
धर्म परायणा शबरी से मिल, पम्पासर में मिले हनुमान    

3 comments:

  1. बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है।

    ReplyDelete
  2. यह आपका यूनिक का हो रहा है।

    ReplyDelete
  3. वन्दना जी, व मनोज जी आपका स्वागत व आभार !

    ReplyDelete