श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
सप्तमः सर्गः
राज मंत्रियों के गुण और नीतिका वर्णन
पूर्व परम्परागत ऋत्विज भी थे, काम मंत्री का जो करते
विनयशील, सलज्ज, जितेन्द्रिय, सबके सब विद्वान बहुत थे
यशस्वी व महा पराक्रमी, कार्य कुशल, श्रीसम्पन्न थे
शस्त्रविद्या के ज्ञाता थे सब, क्षमाशील, तेजस्वी भी थे
सदा सजग राज कार्यों में, मुस्का कर बात करते थे
राजा की आज्ञा से चलते, सदा सत्य भाषण करते थे
अपने या शत्रु पक्ष के, राज भी उनसे छिपा नहीं थे
गुप्तचरों से पता लगाते, दूजे राजा क्या करते थे
सौहार्द की दी थी परीक्षा, वे सभी व्यवहारकुशल थे
मौका यदि ऐसा आ जाये, पुत्र को भी दंड देते थे
राजकोष का संचय करते, चतुरंगिणी सेना भी सजाते
शत्रु यदि अपराध न करे, कभी न उसकी हिंसा करते
सदा शौर्य, उत्साह था उनमें, राजनीति में थे पारंगत
सत्पुरुषों की रक्षा करते, धन अर्जन उनका न्यायोचित
ब्राह्मण व क्षत्रियों को कभी, कष्ट नहीं पहुंचाते वे थे
अपराधी के बलाबल पर, तीक्ष्ण या मृदु दंड देते थे
भाव शुद्ध, विचार एक थे, जानकारी कोसल की रखते
मिथ्यावादी, दुष्ट न कोई, कभी परस्त्रीगामी न पाते
राष्ट्र, नगर में छायी शांति, राजा के हितैषी थे वे
नीति रूप नेत्र से देखें, उत्तम व्रत का पालन करते
थे गुरुतुल्य, गुणों के कारण, राजा के अनुग्रह पात्र थे
सभी ओर ख्याति थी उनकी, देश विदेश में सभी जानते
गुणवान हर देश काल में, दैवी सम्पत्ति से युक्त थे
संधि, विग्रह का ज्ञान था, उपयोग व अवसर जानते
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ReplyDelete!!!!!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!!!!!
!!!!!!!!!! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!!!!!!!!
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं
बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति...आभार
ReplyDeleteरितु और कैलाश जी आप दोनों का स्वागत व आभार !
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