श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
पञ्चमः सर्गः
राजा दशरथ द्वारा सुरक्षित अयोध्यापुरी का वर्णन
मतवाले सिंहों को वन के, व्याघ्रों व जंगली सूकर को
बाणों से हत करते कभी, आजमाते निज भुजा बल को
वेद सभी षट् अंग सहित, ज्ञात जिन्हें अग्निहोत्री ब्राह्मण
सदा पुरी को घेरे रहते, शम-दम आदि गुणों से सम्पन्न
दान सहस्त्रों का करते वे, सत्य स्थित ऋषि मुनि थे
महात्माओं से पुरी सुशोभित, दशरथ रक्षा करते थे
इस प्रकार श्रीवाल्मीकि निर्मित आर्षरामायण आदिकाव्य के बालकाण्ड का पांचवा
सर्ग पूरा हुआ.
षष्ठः सर्गः
राजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या और वहाँ के
नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन
वेदों के विद्वान थे राजा, वस्तु उत्तम संग्रह करते
दूरदर्शी, महा तेजस्वी, प्रिय थे प्रजा व जनपद के
इक्ष्वाकु कुल के अतिरथी, धर्म परायण व जितेन्द्रिय
राजर्षि थे अति प्रसिद्ध, सम्पन्न
उनमें गुण दिव्य
शत्रु हीन, युक्त मित्रों से, धनी इंद्र, कुबेर समान
प्रजापति मनु की भांति, प्रजा के रक्षक अति महान
धर्म, अर्थ, काम को साधें, ऐसे कर्म सदा ही करते
अमरावती इंद्र से शासित, अयोध्या पर वे
शासन करते
उस उत्तम नगरी के निवासी, बहुश्रुत, थे संतुष्ट सदा
धर्मात्मा व निर्लोभी भी, सत्यवादी, प्रसन्न सदा
आपके इस महान कार्य की जितनी सराहना की जाए कम है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द चित्र...आभार
ReplyDeleteकमाल की खूबसूरती है इस रचना में ...
ReplyDeleteआभार !
मनोजजी, कैलाश जी व सतीश जी, आप सभी का स्वागत व बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteसुन्दर ,मनोहर कालातीत वर्रण ,शब्द और भाव चित्र .उत्कृष्ट काव्य इतिहास के आईने में .
ReplyDeleteवीरू भाई आपका स्वागत व आभार!
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