Tuesday, September 4, 2012

दशमः सर्गः अंगदेश में ऋष्यश्रंग के आने तथा शांता के साथ विवाह होने का प्रसंग कुछ विस्तार के साथ वर्णन


श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्


दशमः सर्गः
अंगदेश में ऋष्यश्रंग के आने तथा शांता के साथ विवाह होने का प्रसंग कुछ विस्तार के साथ वर्णन


उनका रसास्वादन करके, समझा फल ही उन्हें ऋषि ने
वनवासी थे वे बचपन से, मिष्ठान कभी नहीं चखे थे

पिता विभाण्डक के भय से फिर, व्रत आदि की बात बना कर
चली गयीं वे वनिताएँ तब, ऋषि हुए व्याकुल जाने पर

दुःख से इधर-उधर टहलते, दूजे दिन भी वहीं आ गए
जहाँ मिलीं थीं वे स्त्रियां, जिनके वस्त्र-आभूषण भा गए

हृदय खिल उठा उन्हें देख कर, बोलीं देख ऋषि को आते
है आश्रम हमारा भी सुंदर, सौम्य ! चलो तुम सँग हमारे

कंद-मूल फल-फूल का संग्रह, नाना रंग रूप यहाँ मिलता
लेकिन वहाँ निश्चय ही इनका, विशेष प्रबंध किया जा सकता

उनके मनहर वचन सुने जब, जाने को तैयार हुए वे
निज सँग फिर ले गयीं स्त्रियाँ, आदर से उन्हें अंगदेश में

उनके आते ही देश में, इंद्रदेव ने जल बरसाया
सारा जग प्रसन्न हुआ तब, राजा भी था अति हर्षाया  



  



4 comments:


  1. उनके आते ही देश में, इंद्रदेव ने जल बरसाया
    सारा जग प्रसन्न हुआ तब, राजा भी था तब हर्षाया
    बढिया कथा चल रही है काव्यात्मक पैरहन में .लो ब्लड प्रेशर रहना तो एक वरदान है ,खिलाड़ियों का अकसर रहता है अलबत्ता ६० से नीचे जब जाए डाय स्तोलिक तब नीम्बू पानी नमक वाला (चीनी भी साथ में मिला सकतें हैं )सरल उपाय है .७० बोले तो एक दम फिट समझो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक पाठ अब ११०/७० ही हैं .

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  2. बढिया कथा चल रही है काव्यात्मक पैरहन में .लो ब्लड प्रेशर रहना तो एक वरदान है ,खिलाड़ियों का अकसर रहता है अलबत्ता ६० से नीचे जब जाए डाय स्तोलिक तब नीम्बू पानी नमक वाला (चीनी भी साथ में मिला सकतें हैं )सरल उपाय है .७० बोले तो एक दम फिट समझो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक पाठ अब ११०/७० ही हैं .

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  3. बहुत रोचक प्रस्तुति...आभार

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  4. वीरू भाई व कैलाश जी, आपका स्वागत व् आभार !

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