श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम्
षट्पञ्चाश सर्गः
विश्वामित्र द्वारा वसिष्ठजी पर नाना प्रकार के दिव्यास्त्रों का प्रयोग और वसिष्ठ
द्वारा ब्रह्म दंड से ही उनका शमन एवं विश्वामित्र का ब्राह्मणत्व की प्राप्ति के
लिए तप करने का निश्चय
ऐसा कहने पर वसिष्ठ के, विश्वामित्र हुए अति क्रोधित
अरे खड़ा रह ! कहा मुनि को, लिया हाथ में आग्नेयास्त्र
ब्रह्मदंड ले कहा मुनि ने, ‘खड़ा हूँ’ कर प्रयोग शक्ति का
गाधिपुत्र, हे अधम क्षत्रिय, है घमंड तुझे निज ज्ञान का
मिल जायेगा आज धूल में, अस्त्र-शस्त्र का सारा ज्ञान
क्षात्र बल न टिक पायेगा, दिव्य ब्रह्म बल अति महान
शांत हुआ तब आग्नेयास्त्र, जैसे जल से अग्नि बुझती
कुपित हुए तब विश्वामित्र ने, वारुण आदि छोड़ी शक्ति
रौद्र, एंद्र, पाशुपत व, एषीक आदि छोड़े अस्त्र
मानव, मोहन, गांधर्व, जृम्भण, मादन, शोषण अस्त्र
स्वाप्न, संतापन, विलापन, विदारण, सुदुर्ज्य व्रजास्त्र
ब्रह्मपाश, कालपाश भी, वारुणपाश, पिनाकास्त्र
सूखी-गीली अशनि, द्न्दास्त्र, पैशास्त्र, क्रौन्चास्त्र
धर्मचक्र, कालचक्र, विष्णुचक्र, वायवास्त्र, मन्थनास्त्र
हयशिरा, द्वैय शक्ति, कालास्त्र, मूसल, कंकाल, त्रिशूलास्त्र
इतने अस्त्रों का प्रहार यह, अद्भुत घटना थी स्वयं में
किन्तु किया नाश मुनि ने, सबको अपने ब्रह्म दंड से
शांत हुए जब अस्त्र सभी, ब्रहमास्त्र का किया प्रयोग
तीनों लोक थर्रा उठे तब, दहल उठे गन्धर्व व नाग
ब्रह्म दंड से शांत किया तब, उस अस्त्र को मुनि वसिष्ठ ने
तीनों लोक पड़े मोह में, रौद्र रूप जब धरा मुनि ने
धूम युक्त लपटें निकलीं थीं, रोम कूपों से तब वसिष्ठ के
प्रज्वलित होता था दंड वह, यमदंड सम कालाग्नि के
स्तुति कर बोले मुनिगण, है अमोघ आपका बल
शीघ्र समेटें निज शक्ति को, विश्वामित्र हुए निर्बल
व्यथा दूर हुई जग की जिससे, शांत हुए तब मुनि वसिष्ठ
लम्बी साँस खींचकर बोले, विश्वामित्र तब हुए कुपित
है धिक्कार क्षत्रिय बल को, ब्रह्म तेज ही असली बल
ब्रह्म दंड ने नष्ट कर दिए, क्षण भर में ही सारे अस्त्र
मन इन्द्रियों को निर्मल करके, करूंगा तप का मैं अनुष्ठान
प्राप्ति हेतु ब्राहमणत्व की, जो क्षत्रियत्व से है महान
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्य के बालकाण्ड में छप्पनवाँ सर्ग
पूरा हुआ.
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शनिवार- 01/11/2014 को
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 43 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
बहुत बहुत आभार !
DeleteBahut sunder aalekh ... Dhanywad !!
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