tag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post7894442118963519422..comments2024-01-04T02:40:00.521-08:00Comments on श्रद्धा सुमन: मौन धारे झर गया भीतर समन्दरAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-21384185313697213022011-04-25T00:42:12.281-07:002011-04-25T00:42:12.281-07:00दग्धता ले दे गया अनुराग इक स्वर
मौन धारे झर गया भी...दग्धता ले दे गया अनुराग इक स्वर<br />मौन धारे झर गया भीतर समन्दर ...<br /><br />Sach hai prem ka ek shabd ... paashaan ko pighla deta hai ... sundar bhaav ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-81113414501640625782011-04-23T08:16:53.389-07:002011-04-23T08:16:53.389-07:00anurag aur madhurag ke swar aise hi hote hain jo m...anurag aur madhurag ke swar aise hi hote hain jo man ki har tapan ko har lete hain. sunder prastuti.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-12540872299820109632011-04-23T06:04:58.454-07:002011-04-23T06:04:58.454-07:00मौन धारे झर गया भीतर समन्दर ...
परमानन्द के समन्दर...मौन धारे झर गया भीतर समन्दर ...<br />परमानन्द के समन्दर में रहना अच्छा लगता है.<br />सुन्दर रचना....बधाईAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-60163894551204841532011-04-22T23:18:55.400-07:002011-04-22T23:18:55.400-07:00निर्झर झरना बह रहा है।निर्झर झरना बह रहा है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-75496360766897616762011-04-22T23:05:52.960-07:002011-04-22T23:05:52.960-07:00ताल सुर से बद्ध न था
शास्त्र से सम्बद्ध न था
दग्धत...ताल सुर से बद्ध न था<br />शास्त्र से सम्बद्ध न था<br />दग्धता ले दे गया अनुराग इक स्वर<br />मौन धारे झर गया भीतर समन्दर ! <br /><br />आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....<br />हार्दिक बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-86187649184256222482011-04-22T20:39:32.851-07:002011-04-22T20:39:32.851-07:00रिक्तता को भर गया चुपचाप इक स्वर
मौन धारे झर गया भ...रिक्तता को भर गया चुपचाप इक स्वर<br />मौन धारे झर गया भीतर समन्दर !<br />दृग झुके कर जुड़ गए<br />पग थमे फिर मुड गए<br />अल्पता को हर गया अन्जान इक स्वर<br />मौन धारे झर गया भीतर समन्दर अनीता जी आपके मधुर गीत की ये पंक्तियाँ भीतर तक भिगो देती हैं । बहुत सरस गीत है । आप अपनी कविताएँ विश्व प्रसिद्ध वेबसाइट अनुभूति पर भी भेजिए और आप उनकी अभिव्यक्ति पर अनवरत प्रसारित नवगीत की पाठशाला में भी हिस्सा लीजिए । पते आपके पास होंगे ही फिर भी दे रहा हूँ- http://www.anubhuti-hindi.org/ http://www.abhivyakti-hindi.org/सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-36444880579413075052011-04-22T19:30:38.482-07:002011-04-22T19:30:38.482-07:00निर्झर जैसा प्रवाह लिए सुन्दर रचना!निर्झर जैसा प्रवाह लिए सुन्दर रचना!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-12878873965579186432011-04-22T18:58:04.988-07:002011-04-22T18:58:04.988-07:00पढ़ कर आनंद आ गया,सूक्ष्म भावनाओं को शब्दों में पकड़...पढ़ कर आनंद आ गया,सूक्ष्म भावनाओं को शब्दों में पकड़ने की अदभुत कला है तुम्हारे पास.geetachandnahttps://www.blogger.com/profile/14564664486059334886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-13863168520169474672011-04-21T09:19:22.563-07:002011-04-21T09:19:22.563-07:00थी सुरीली कूक कोकिल कंठ में
जो जगाती हुक उर आकंठ म...थी सुरीली कूक कोकिल कंठ में<br />जो जगाती हुक उर आकंठ में<br />शून्यता को भर गया मधुराग सा स्वर<br />मौन धारे झर गया भीतर समन्दर <br /><br />बहुत सुंदर पंक्तियाँ ..उत्कृष्ट रचना अनिताजी.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-60928733397314669982011-04-21T07:32:39.864-07:002011-04-21T07:32:39.864-07:00थी सुरीली कूक कोकिल कंठ में
जो जगाती हुक उर आकंठ म...थी सुरीली कूक कोकिल कंठ में<br />जो जगाती हुक उर आकंठ में<br />शून्यता को भर गया मधुराग सा स्वर<br /> मौन धारे झर गया भीतर समन्दर !<br /><br />ह्रदय में हूक जगती हुई रचना ...!!<br />बहुत ही सुमधुर लेखनी है आपकी ...इसमें कोई शक नहीं...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-60926896297772220772011-04-21T02:18:23.570-07:002011-04-21T02:18:23.570-07:00अनीता जी ,
बहुत सुन्दर लिखा है अपने....ऐसा अनुराग...अनीता जी ,<br /><br />बहुत सुन्दर लिखा है अपने....ऐसा अनुराग का स्वर ही तो परिपूर्ण कर देता है....<br /><br />क्या पंक्तियाँ है..कमाल है एकदम..<br /><br /><br />थी सुरीली कूक कोकिल कंठ में<br />जो जगाती हुक उर आकंठ में<br />शून्यता को भर गया मधुराग सा स्वर<br /> मौन धारे झर गया भीतर समन्दर !<br /><br />मौन धारे झर गया भीतर समंदर ... क्या खूब शब्द दिए हैं आपने अनुभूति को... नमन ..!!मुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-30736222093782991212011-04-21T01:36:53.234-07:002011-04-21T01:36:53.234-07:00बहुत ही सुन्दर रचना, आभार.बहुत ही सुन्दर रचना, आभार.Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.com