tag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post260584546909146254..comments2024-01-04T02:40:00.521-08:00Comments on श्रद्धा सुमन: ब्रह्म और जगत की एकताAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-52340635897006925812011-11-16T02:42:51.857-08:002011-11-16T02:42:51.857-08:00ज्ञान का गहन सागर....ज्ञान का गहन सागर....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-79355685823040553592011-11-15T23:21:04.117-08:002011-11-15T23:21:04.117-08:00इसका अर्थ जहाँ तक मेरी समझ है,यह है कि जिस तरह घट ...इसका अर्थ जहाँ तक मेरी समझ है,यह है कि जिस तरह घट में मिट्टी है और मिट्टी में घट है उस तरह भी ब्रह्म और जगत दो नहीं हैं,बल्कि जैसे आकाश में सब कुछ है और कण-कण में आकाश है पर उसे छूता नहीं है और पृथक है फिर भी उसके बिना कुछ भी हो नहीं सकता ऐसे ही ब्रह्म में सब है पर पृथक है और सबमें वही है...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-67576834799059643242011-11-15T22:33:09.850-08:002011-11-15T22:33:09.850-08:00न तो मैं भूतों में स्थित, नही वे मुझमें हैं स्थित
...न तो मैं भूतों में स्थित, नही वे मुझमें हैं स्थित<br />इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करो तो समझने में आसानी होगी.geetachandnahttps://www.blogger.com/profile/14564664486059334886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3794863634852020748.post-29800434274089952022011-11-14T01:40:16.708-08:002011-11-14T01:40:16.708-08:00ज्ञान गंगा बहती रहे!ज्ञान गंगा बहती रहे!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com